Atlas Cycle Stop : आत्मनिर्भर मन्त्र के बाद, 1951 से शुरू हुए Atlas Cycle के स्वर्णिम सफ़र पर विश्व साइकिल दिवस के दिन लगा ब्रेक
Fast Footer|| Atlas Cycle : साहिबाबाद स्थित देश की नामी साइकिल कंपनी एटलस के एक हजार कर्मचारियों पर आफत टूट पड़ी है। विश्व साइकिल दिवस पर ही बंद हुई एटलस कंपनी। उत्पादन न होने से आर्थिक संकट का हवाला देते हुए, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट-4 की एटलस कंपनी ने बुधवार को अपने कर्मचारियों को ले-ऑफ कर दिया।
बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट में कहा , ‘ऐसे समय जबकि लाॅकडाउन के कारण बंद पड़े उद्योगों को खोलने के लिए आर्थिक पैकेज आदि सरकारी मदद देने की बात की जा रही है, जबकि यूपी के गाजियाबाद स्थित एटलस जैसी प्रमुख साइकिल फैक्ट्री के धन अभाव में बंद होने की खबर चिंताओं को बढ़ाने वाली है। सरकार तुरन्त ध्यान दे तो बेहतर है।’

Atlas Cycle के गुस्साए कर्मचारियों ने कंपनी के गेट पर किया प्रदर्शन
नोटिस मिलने से गुस्साए कर्मचारियों ने कंपनी के गेट पर प्रदर्शन कर विरोध जताया। कर्मचारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठियां फटकारनी पड़ी। उधर, श्रम विभाग के प्रमुख सचिव और श्रमायुक्त को पत्र भेजकर एटलस साइकिल लिमिटेड इम्प्लॉयज यूनियन ने मामले में विरोध जताया है।
एटलस साइकिल यूनियन के महासचिव महेश कुमार ने मिडिया को जानकारी दी, कि साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट-4 स्थित एटलस साइकिल (हरियाणा) लिमिटेड में परमानेंट और कांट्रेक्ट बेस पर करीब एक हजार कर्मचारी काम करते हैं।जो पिछले 20 साल से कंपनी में तैनात हैं।

यूनियन ने लगाया कंपनी प्रबंधन पर आरोप
लॉकडाउन लागू होने के बावजूद कंपनी ने १ और २ जून को सभी कर्मचारियों को कंपनी में काम के लिए बुलाया था। इस दौरान कर्मचारियों ने नियमित रूप से अपना काम पूरा करने भी आयेलेकिन बुधवार को कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे तो उन्हें गार्डों ने अंदर नहीं जाने दिया। इस पर कर्मियों ने रोकने का कारण पूछा तो गार्ड ने बताया कि बैठकी यानी ले-ऑफ लागू कर दी गई है और नोटिस भी बोर्ड पर चस्पा किया गया है।
जब कंपनी के प्रबंधकों से इस बारे में बात करने का प्रयास किया तो प्रबंध से कोई सामने नहीं आया। कुछ देर में कर्मचारियों की भीड़ बढ़ती गई और इस बारे में जब बाकि कर्मचारियों को मालूम हुआ तो उनका गुस्सा भड़क गया और आनन-फानन में सभी कंपनी के बाहर इकट्ठा हो गए।
Atlas Cycle कंपनी प्रबंध ने बुलाई पुलिस

आरोप है कि कंपनी प्रबंध की ओर से पुलिस बुलाई गई। लिंक रोड थाने की पुलिस ने पहले बातचीत से कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया। काफी देर तक दोनों पक्षों के बीच बात होती रही। लेकिन कर्मचारी प्रबंधन से मिलने पर अड़े तो पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर कर्मचारियों को वहां से हटाया।
अगर कर्मचारियों की बात करें तो लॉकडाउन ने पहले ही उनकी कमर तोड़ दी है ऐसे में परिवार के गुजर-बसर में पहले ही दिक्कत आ रही थी। अब कंपनी की तरफ से बैठकी (ले-ऑफ) लागू करने से हालात और बिगड़ जाएंगे। इसी को लेकर तमाम कर्मचारी और उनके परिवार परेशान हैं।
ले-ऑफ? क्या होता है, ये भी जान लीजिये
कंपनी के पास जब उत्पादन के लिए पैसे नहीं होते हैं, तो उस परिस्थिति में कंपनी कर्मचारियों की छंटनी न करके और किसी प्रकार का अतिरिक्त काम ना कराकर सिर्फ उसकी हाजिरी लगवाती है। कंपनी का कर्मचारी रोजाना गेट पर आकर अपनी हाजिरी नोट कराएगा और उसी हाजिरी के आधार पर कर्मचारी को आधे वेतन का भुगतान किया जाएगा।
Atlas Cycle का स्वर्णिम इतिहास

जानकी दास कपूर द्वारा सन 1951 में एटलस साइकिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सोनीपत में एक कामचलाऊ शेड में एक मामूली शुरुआत की गई थी। एक किफायती और मजबूत साइकिल के सपने ने इसकी नीव डाली और 12 महीने की रिकॉर्ड अवधि में 25 एकड़ के फैक्ट्री परिसर में तब्दील हो गया था। 1958 में पहली खेप विदेशों में भेजी गई। 1965 में, एटलस भारत की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। 1978 में भारत में पहली रेसिंग साइकिल की शुरुआत की। Atlas को ‘सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक संबंध’ के लिए फिक्की पुरस्कार, इटली के गोल्ड मर्करी इंटरनेशनल अवार्ड, निर्यात उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित ईईपीसी जैसे कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
1982 में दिल्ली में IXth एशियाड को साइकिल के आधिकारिक आपूर्तिकर्ता नियुक्त किए जाने के सम्मान ने एटलस की कैप में एक और पंख जोड़ा था। अपने उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण, विशेष साइकिल घटकों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की आवश्यकता हुई। अपनी संपूर्ण स्टील ट्यूब आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एटलस स्टील ट्यूब मिल को गुड़गांव में स्थापित किया गया था। जिसके बाद न केवल आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता टूटी, बल्कि कड़े गुणवत्ता नियंत्रण, एटलस के पर्याय, को बनाए रखा गया था। एटलस को वैश्विक मानचित्र पर लाने और एक अग्रणी साइकिल निर्माण इकाई के रूप में उनका सपना सच हो गया है। पर शायद अब ये सुनहरा सफर खत्म होता प्रतीत हो रहा है….